पत्थर दिल मोम हो गया – Emotional Motivational Story in Hindi

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मेरी कहानी पत्थर दिल एक ऐसी जज्बाती कहानी है जहाँ  दिल तो सबके पास है मगर महसूस कोई नहीं करता।

सराय काले खां एक ऐसी जगह है जहां आदमी इतना गिरा हुआ है कि खुदा भी चाहे तो उठ नहीं सकता। वहां मकान तो है घर नाम की कोई चीज नहीं है। घर में आदमी रहते हैं तो संबंधों की मर्यादा जानते हैं। आबादी लगभग पाँच हज़ार। गाँव  का मुखिया सुल्तान खान एक लंबा चौड़ा आदमी उम्र 40 पार बड़ी मूछें देखने में एक महा योद्धा सा। घर में एक लड़का, नाम दिलेरखान। लड़का बाप से भी चार अंगुल बड़ा उम्र 20 बरस। गाँव  की जमीन तो बहुत उपजाऊ पर बंजर पड़ी थी। उनका पेशा लोगों को लूटना और उससे अपनी जिंदगी की जरूरत पूरी करना था जिस पर हमला करते उसे जीवित नहीं छोड़ते चाहे वह धन अपनी मर्जी से दे दे। उनका मानना था कि बिना मेहनत के धन उनके लोगों के लिए एक अशुभ है ना जाने कितनी बाराते लूटी जाने कितनी लाशें बिछाई कुछ पता नहीं। लोगों को मारना उनका पेशा था। वह दिल की जगह पत्थर रखते थे। उनका कहना था कि अगर पत्थर की जगह हाड़ मास का दिल हुआ तो भूखे मर जाएंगे।

पर सुल्तान खान का लड़का दिलेरखान थोड़ा अलग था। उसे इस लूटपाट की जिंदगी कभी जंचती नहीं थी कभी-कभी उसका मन करता सब कुछ छोड़ कर कहीं चला जाए। ऐसी जगह जहां वह अपने हाड़ मास वाले दिल से सोच सके, उसके फैसले ले सके। समय बढ़ता गया। दिलेरखान का मन और ऊबता चला गया आखिर एक दिन उसने काले खां सराय को अलविदा कह दिया। वह रात भर पैदल चलता रहा। भय से उसका परिचय कभी हुआ नहीं था इसलिए रात में उसे भय  नहीं लग रहा था। सुबह होते होते वह एक कस्बे के पास पहुंच गया। कस्बा बहुत बड़ा नहीं था फिर भी गांव से बेहतर था।

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वह बहुत थक चुका था प्यास  से गला सूख रहा था आखिर हार कर एक पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगा। बैठे-बैठे ना जाने कब लेट कर सो गया पता ही नहीं चला अचानक उसकी नींद खुल गई, लगा जैसे कोई जगह रहा हो आंखों को मसलते हुए वह उठ बैठा देखा सामने एक 70 साल की वृद्धा औरत सामने खड़ी थी शायद उसी ने जगाया था। उसने प्रश्न सूचक दृष्टि से उसकी ओर देखा वह बोली बेटा लगता है कोई परदेसी हो उसने हां में सिर हिलाया फिर उसने पूछा कहां जा रहे हो और कहां से आ रहे हो। एक बार तो उसे बहुत गुस्सा आया फिर उसने अपने पत्थर दिल को काबू कर लिया उसने इसी के कारण तो गांव छोड़ा था। अब इसे फिर मौका नहीं दूंगा उसने चेहरे के भाव को बदलते हुए सहजता से एक झूठे गांव का पता बताया जो वास्तव में था नहीं वह अपने उस दुर्दांत गांव का परिचय देना नहीं चाहता था फिर बोला माँ मैं काम की तलाश में हूं जहां काम मिल जाएगा वहीं रुक जाऊंगा। मेरे मुंह से बहुत दिन बाद माँ शब्द निकला माँ ने  बड़ी आत्मीयता से पूछा  कुछ खाया या भूखा है तू। झूठ बोला नहीं गया। बोला नहीं अभी तक तो नहीं अब कहीं से कुछ लेकर खा लूंगा अगर मुझ पर तुझे भरोसा है तो चल मैं तुझे अपने हाथ से बना खाना खिलाऊंगी। पता नहीं क्यों उसे उसकी बातों पर इतना भरोसा हो गया जो खड़ा होकर उसके पीछे चल दिया थोड़ा दूर जाने पर एक छप्पर वाले मकान के सामने बुढ़िया खड़ी हो गयी। उसके दरवाजे में लगे ताले को खोला दरवाजा खुलते ही वह मुझे अंदर लेकर गई। अंदर से मकान बहुत सुंदर बना हुआ था बिल्कुल साफ सुथरा था। भीतर पड़ी चारपाई पर मुझे बिठाकर वह अंदर चली गई वापस आई उसके हाथ में एक लोटा पानी और एक बर्तन में गुड़ था। पानी पीने को कहा थोड़ा गुड़ खाकर लोटा भर पानी पी लिया।

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बुढ़िया ने एक बाल्टी और लोटा लाकर मुझे दिया, बोली जाकर कुए पर नहा ले। थकन छूमंतर हो जाएगी। मैं बाल्टी लोटा उठाकर उसकी ओर देखने लगा। उसकी बातें मुझे अच्छी लग रही थी। वह फिर से भीतर चली गई जब वापस आई तो हाथों में एक अंगौछा और एक सफेद धोती थी। मुझे देकर बोली जाओ सामने एक कुआं है वही नहा लेना। अभी और कुछ सोचता तब तक उस बुढ़िया माँ की आवाज आई जल्दी से नहा ले तब तक मैं तेरे लिए कुछ बनाती हूँ। नहा कर वापस आया तो उसने मुझे भोजन परोसा।  इतना स्वादिष्ट खाना मैंने अभी तक जिंदगी में कभी नहीं खाया था। उसके बाद वह एक गिलास छाछ ले आई और बोली इसे पी लो ताकि खाना पच  जाए।

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फिर मुझे आराम करने को कहकर खुद अंदर चली गई एक 2 मिनट में मुझे गहरी नींद आ गई मैं काफी समय तक सोया रहा फिर जब उठ कर बैठा तो चारों तरफ हल्की धूप फैली हुई थी, तभी वह बुढ़िया माँ आ गई मुस्कुराई और  बोली कुछ खाने का मन हो तो बताओ फिर वह गुड़-चबैना  लेकर आई।  सामने रख दिया मैं धीरे-धीरे चबाता हुआ सोच रहा था कि मैं जहां से आया हूं वह दुनिया सिर्फ खुद के बारे में सोचती है और यहां मैं आया तो उसने अपरिचित को अपने बेटे की जगह दे दी फिर बुढ़िया माँ ने मेरी विचारों की श्रंखला को तोड़ दिया बोली यदि तुम काम करने की इच्छा रखते हो तो मैं तुम्हें काम बता सकती हूं देखो बेटे मेरे पास बहुत काम है।

यदि तुम काम करना चाहो तो मैं तुम्हें बता सकती हूं बाकी तुम्हारी मर्जी है यदि तुम काम करना चाहते हो तो मेरे पास कृषि लायक जमीन बहुत है।  तुम उसमें अपना भाग्य आजमा सकते हो बदले में मैं तुम्हें ₹4 हर महीने दूंगी रहने के लिए मेरे घर रहो और खाने को मेरे घर खाओ पैसा नहीं देना है। मैं बोला मां आप मेरे बारे में क्या जानती हो मैं कौन हूँ पहले मैं क्या करता था बिना कुछ जाने मुझे तुमने स्वीकार कर लिया। वह हंसती हुई बोली तू कुछ भी हो मुझे कुछ लेना देना नहीं मैं माँ  हूँ  जानती हूँ  बच्चे के मन में क्या चल रहा है मान ले तू कोई डाकू है क्या करेगा मुझे लूट लेगा या ज्यादा से ज्यादा मुझे मार देगा। मुझे इस बात का कोई डर नहीं है मैं यह सब बांधकर नहीं ले जाऊंगी। एक दिन सब यहीं छूट जाना है किस बात का भय  पालूं।  दूसरी और मेरा लाभ यह  है कि तू मेरे साथ रहेगा तो मैं एक से दो हो जाऊंगी तेरे बहाने मैं कुछ बढ़िया बनाकर खाऊंगी। मैं अकेली जीवन से हताश  हो चुकी हूँ।

मैं तो बाकी जिंदगी जीने का बहाना ढूंढ रही हूं अगर तू चाहे तो कुछ दिन मेरी जिंदगी थोड़ा खुशनुमा हो जाएगी।  कल मैंने तुझे जिस हालत में देखा मैं समझ गई कि तू कोई वक्त का मारा हुआ है। इसलिए मैं तुझे ले आई। दिल ने महसूस किया पत्थर  वाला दिल अब हाड मास का हो गया था जो कभी किसी का सिर कलम कर सकता था आज उसकी आंखें नम हो रही थी। एक पत्थर आदमी बन रहा था वह उठा ना जाने कैसा  सम्मोहन था कि वह खिंचा हुआ बुढ़िया अम्मा के सीने से लग गया। बाद के दिनों में पता चला कि कम उम्र  में पति चला गया और लड़का 20 बरस का था नदी में नहाते समय डूब कर मर गया। सचमुच महान थी वह बिधिया माँ, आज जिसने  पत्थर का दिल मोम कर दिया।

इस  Story को पढ़ने के लिए धन्यवाद। हम आशा करते हैं कि आपको इससे कुछ कुछ अवश्य शिक्षा मिली होगी। अन्य Motivational Story के लिए मेरे ब्लॉग का अनुसरण करते रहेंगे। कृपया Like और  Share करना भूलें।

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