Teacher aur Student ki Motivational Story(टीचर और स्टूडेंट की मोटिवेशनल स्टोरी)

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Teacher aur Student ki Motivational Story(टीचर और स्टूडेंट की मोटिवेशनल स्टोरी)

शिक्षक चाहे तो किसी भी विद्यार्थी की जिंदगी सवार सकता है बिना किसी स्वार्थ के और उतना ही विद्यार्थी को भी अपने गुरु पर विश्वास करना चाहिए।

एक विद्यालय मैं उन्नति नाम की एक लड़की थी। पढ़ाई में होशियार थी दिमाग इतनी तेज था कि तुरंत हर सवाल का जवाब देती थी लेकिन उसके घर की हालत इतनी अच्छी नहीं थी उसके माता पिता मजदूरी करते थे।

उन्नति अपने घर की हालत और अपने माता-पिता के संघर्षों को अच्छे से महसूस करती थी छोटी लड़की और उसके बड़े बड़े सपने उन्नति बड़ी होकर कलेक्टर बनना चाहती थी ताकि वह अपने माता पिता स्कूल और गांव का नाम ऊंचा कर सके। उन्नति का स्कूल दसवीं तक ही था। 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के लिए 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था कई मां-बाप तो आगे की पढ़ाई के लिए दूर होने के कारण भेजते भी नहीं थे और कुछ तो अपनी बेटियों की शादी करा देते थे।

उन्नति जब दसवीं में थी तब उसके मन में भी डर सताने लगा कि क्या आगे की पढ़ाई के लिए उसके माता-पिता उसे घर से दूर भेजेंगे या फिर शादी करा देंगे इस बारे में उन्नति किसी से कुछ नहीं कहती परंतु एक डर उसके अंदर बना हुआ था।

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उन्नति के स्कूल में एक टीचर थे जिनका नाम नितेश कुमार था नितेश को मालूम था कि गरीबी क्या होती है वह अपने स्कूल के बच्चों का हमेशा हौसला बढ़ाते थे और बच्चे उनकी हर बात मानते थे। उन्नति के मन का डर दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा था माता-पिता और घर की हालत देखकर वह और भी डर जाती थी। कहते हैं भगवान किसी ना किसी रूप में धरती पर आते हैं और इस बार वह उन्नति के डर को दूर करने के लिए स्कूल टीचर के रूप में नितेश कुमार को भेज दिया उन्नति दसवीं में अपने स्कूल एवं जिले में प्रथम स्थान प्राप्त करती है लेकिन वह खुश नहीं होती क्यों अंदर का डर उसे रोकता है क्या होगा आगे की पढ़ाई कर पाएगी या नहीं इस डर और आंखों में आंसू को लेकर अपने मां-बाप से पूछती है क्या मैं आगे की पढ़ाई के लिए दूर जा सकती हूं।

उन्नति के पिता कहते हैं देख बेटी जब तक स्कूल गांव में था तब तक ठीक था लेकिन अब तुमको हम दूर नहीं भेज सकते अब तुम बड़ी हो गई हो कहीं कोई ऊंच-नीच हो गया तो तेरे साथ शादी कौन करेगा और हम इस गांव में किसी को मुंह नहीं दिखा पाएंगे। आगे की पढ़ाई का खर्च भी शायद ही उठा पाएंगे हमारी हालत से तुम भली भांति परिचित हो सभी स्कूल टीचर नीतीश कुमार वहां आ जाते हैं और उन्नति के माता-पिता से कहते हैं आपकी बेटी पढ़ाई में बहुत होशियार है और उसने दसवीं में अपने जिले में प्रथम स्थान पाया है। आप लोगों को उसे प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वह 12वीं मैं पूरे प्रदेश में अव्वल आए उन्नति के पिता बोले लेकिन हम इसकी पढ़ाई का खर्चा नहीं उठा सकते क्योंकि हम गरीब हैं।

नितेश कुमार बोले मुझे पूर्ण विश्वास है वह ऐसा कर सकती है। आगे की पढ़ाई की चिंता आप मत कीजिए उसकी पढ़ाई का खर्च मैं उठा लूंगा क्योंकि मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है और मैं गरीबी लाचारी कठिनाइयों से अच्छे से परिचित हूं इन सभी को महत्व नहीं देता क्योंकि जो इंसान इन चीजों के बारे में सोचता रहता है। वह जिंदगी भर फकीर ही रहता है। इन चीजों का मेरे जीवन में कोई स्थान नहीं है मुझे इतना पता है कर्म करो बाकी भगवान के ऊपर छोड़ दो।

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टीचर की बात सुनकर उन्नति के अंदर का डर चला जाता है और आंखों में खुशी के आंसू उमड़ पड़ते हैं उसके माता-पिता भी उनके आगे हाथ जोड़कर अपनी सोच पर माफी मांगते हैं और कहते हैं। हम दोनों और ज्यादा मेहनत करेंगे जिससे हम अपनी बेटी को पढ़ा सकें जरूरत होगी तो आपको भी याद करेंगे। उन्नति ने बाहर आओ में की पढ़ाई शुरू कर दी देखते ही देखते 12वीं मैं पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया की प्रदेश सरकार उन्नति की आगे की पढ़ाई का खर्च उठाने की घोषणा करती है। उन्नति पीछे मुड़कर नहीं देखती और बहुत मेहनत करती जाती है। कुछ सालों बाद उन्नति कलेक्टर बन जाती है इन्हीं सालों में उसके टीचर का कहीं ट्रांसफर हो जाता है अब वह उसके गांव में नहीं पढ़ाते।

लेकिन टीचर की सीख को वह हमेशा याद करती रहती है और सोचती है आज जो कुछ भी बनी है उन्हीं की प्रेरणा के कारण बनी है यदि वह उस दिन उसके माता-पिता को नहीं समझाते तो आज वह इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाती। उन्नति अपने टीचर को हमेशा याद करती है और सोचती है कि वह उसे किसी दिन मिल जाए।

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एक दिन जब वहां दौरे पर निकलती है वह एक गांव में जाती है और वहां स्कूल के  सामने रुक जाती है तभी अचानक उसके कानों में बरसों पुरानी आवाज सुनाई देती है। बच्चों की हौसला बढ़ाने वाली बातें ऐसी बातें जो किसी को भी प्रेरित कर दें वह धीमे-धीमे अंदर जाती है और अचानक चौक जाती है उसके मुंह से निकलता है अरे सर आप।

अपने टीचर को देखकर ऐसा खुश होती है जैसे मानो उसने समंदर में मोती ढूंढ ली हो। अब वह बूढ़े हो चुके हैं पहचान पाना मुश्किल था। वो उन्नति को नहीं पहचान पाते हैं लेकिन उन्नति उन्हें पहचान लेती है और उनके पास जाकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेती है उनसे कहती है। कहां-कहां नहीं ढूंढा सर आपको मुझे मालूम था आप किसी ना किसी स्कूल में आप जरूर  मिलेंगे और मेरे जैसे और बच्चों का सही मार्गदर्शन देते हुए यह कहते हुए वह दोबारा टीचर के पैर छूती है।

टीचर उन्नति को देखकर बोले बेटी मैंने आपको पहचाना नहीं बेटी कौन हैं आप और आपके यहां आंखों में या आंसू किस लिए उन्नति बोली सर मैं आपके स्टूडेंट उन्नति जिसे आपने हमेशा प्रेरित किया।  मेरे माता-पिता को समझाया मुझे आगे की पढ़ाई पूरी कराने के लिए और आज मैं जो भी कुछ हूं। आप के कारण हूं सर मैं आज उस मुकाम पर पहुंच गई हूं पहुंचना चाहती थी सर मैं कलेक्टर बन गई हूं आज मुझे आप मिल गए मेरा जीवन धन्य हो गया आपसे मिलकर।

टीचर के आंखों में आंसू आ जाते हैं वाह उन्नति को देखकर बहुत खुश होते हैं और कहते हैं तुम जैसा विद्यार्थी पाकर मैं भी धन्य हो गया वह उसे ढेर सारे आशीर्वाद देते हैं। दोनों की आंखों में ढेर सारे आंसू होते हैं।

कहानी से हमें क्या प्रेरणा मिलती है कि अगर आप सच्चे मन से किसी कार्य को करने और बनने की ठान लो तो पूरी कायनात आपकी सहायता करती है यहां एक बात और सीखने को मिलती है यदि कोई टीचर चाह ले कि वह अपने विद्यार्थी को मंजिल तक पहुंचाना चाहता है तो उसे कोई नहीं रोक सकता एक टीचर चाहे तो पूरा देश बदल सकता है।

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