प्रतिभा और हुनर हो तो मुश्किल लक्ष्य भी पाया जा सकता है ये इस कहानी में बताया गया है। सुरीली ने अपने गाने के हुनर को प्रयोग करते हुए और अपनी मां का जीवन सुधार लिया।
सुरीली का नाम यूं ही सुरीली नहीं था। बल्कि बचपन से ही उसकी आवाज बहुत मीठी थी। वह शहर के पाश इलाके में बनी अन्ना नगर झुग्गी बस्ती में अपने भाई और अपने माता-पिता के साथ रहती थी। उसकी झुग्गी से कुछ ही दूरी पर अमीर सेठो की बड़ी-बड़ी हवेलियां थी। उसकी मां उन्हीं हवेलियों में काम करती थी। और अपने घर का खर्चा चलाती थी, और अपने और अपने बच्चों के खाने पीने और बच्चों की पढ़ाई लिखाई का ध्यान रखती थी। उसका पति निकम्मा और आलसी था। उससे घर परिवार से कोई मतलब नहीं था। जब वह घर आता तो बच्चों को मारता पत्नी को पीटा और पैसे छीन कर भाग जाता और उन पैसों से शराब पी लेता।
उसकी इस आदत से उसके पत्नी और बच्चे बहुत परेशान थे। सुरीली की मां ने उसे झुग्गी बस्ती के ही एक संगीत विद्यालय में संगीत सीखने के ए डाल दिया। सुरीली भजन और आरती बहुत अच्छा गाती थी। दुर्गा उत्सव और गणेश उत्सव में पंडित जी उसे भजन आरती गाने को बुलाते थे। सुरीली के भाई का मन पढ़ाई में नहीं लगता, मोहल्ले में लड़ाई झगड़ा करता और घूमता रहता था। सुरीली की मां उसे समझाती कि पढ़ लिखकर अच्छा इंसान बन। वह मां की बात पर हां में हां मिलाता पर फिर अपने दोस्तों के साथ आवारागर्दी करने निकल पड़ता।
एक बार होली के दिन उसकी मां ने उसे बहुत समझाया कि थोड़ा बहुत रंग खेल कर घर वापस आ जाना तू बड़ा हो रहा है। तुझे अब घर की जिम्मेदारी भी समझनी चाहिए। वह मां को किसी तरह समझा-बुझाकर होली खेलने चल पड़ा।
उसने दोस्तों को बहुत मना किया पर दोस्त रंग खेल कर उसे तालाब ब मैं नहाने ले गए सब ने वहां बहुत मस्ती की। इसी बीच में सुरीली के भाई का पैर फिसल गया, और वो गहरे पानी में बह गया। दोस्तों ने बहुत प्रयास किया उसे ढूंढने का पर वह नहीं मिला। सुरीली के भाई के दोस्तों ने उसकी मां को जल्दी से आकर बताया, उसकी मां बदहवास दौड़ते दौड़ते थाने पहुंची। दरोगा से विनती करके 2 गोताखोर को तालाब में उतारा पर अंततः सुरीली का भाई नहीं मिला। सुरीली की मां ने बड़ी मुश्किल से यह सदमा बर्दाश्त किया सुरीली के पिता ने तो घर आना ही छोड़ दिया।
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अब सुरीली ही उसकी मां का एकमात्र सहारा थी। अब जब भी सुरीली भजन गाने जाती तो उसकी मां भी उसके साथ जाती। सुरीली अपनी मां को बहुत समझाती मैं अपना ध्यान रखूंगी और भजन गाकर सीधे घर आऊंगी। उसके साथ ही रहना चाहती और रहती। एक हवेली में रहने वाली एक आंटी ने सुरीली की मां को बताया शहर में टैलेंट हंट शो होने वाला है। जिसमें बड़े जाने माने गायक और गायिका आने वाले हैं। जो अच्छा गाने वाले लड़के लड़कियों को चुनेंगे, तू उस कार्यक्रम में सुरीली को भाग लेने को बोल।
सुरीली की मां बोली दीदी हम इतने बड़े गायक गायिका के पास कैसे पहुंच पाएंगे। मैं अपने रामू चपरासी को भेजकर फार्म मंगवा दूंगी, सुरीली से कहना फार्म भर कर उसकी सारी जरूरी कार्रवाई पूरी कर रामू को दे दे वह जमा भी कर आएगा। सुरीली की मां बोली दीदी बहुत कठिन काम है, मेरा मन भी बहुत दुखी है मेरे बेटे के जाने से। पर आप कहते हो तो मैं प्रयास करूंगी।
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एक दिन अचानक सुरीली को टैलेंट हंट शो में भाग लेने का बुलावा आ गया। अब सुरीली और उसकी मां दौड़ते दौड़ते दीदी के पास गए, उन्हें खुशखबरी सुनाई तो दीदी ने बोला अगर सुरीली सच में सिलेक्ट हो गई, तो वे लोग उसे गाना सिखाने के लिए मुंबई ले जाएंगे। यह सुनकर सुरीली की मां डर गई।
उसने कहा दीदी मैं अपनी लड़की को वहां अकेले कैसे जाने दूं। दीदी ने समझाया किशोर बच्चों के साथ सहायक जा सकता है, तो वहां अपनी सुरीली के साथ हरदम रहना। सुरीली की मां बोली वहां बदनाम लोग भी होते हैं, जो गरीब लड़कियों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं।
दीदी ने बोला अरे ऐसा नहीं है। कुछ अच्छे लोग भी होते हैं फिर तू तो साथ रहेगी ही।
सुरीली के सौभाग्य से सुरीली का सिलेक्शन टैलेंट हंट शो में हो गया। अब सुरीली की मां ने कई जगहों से उधार लेकर रुपए पैसों का इंतजाम किया। काफी लंबे समय तक सुरीली और उसकी मां को मुंबई में रहना पड़ा। सुरीली के गानों में निखार आ गया था, उसका नाम चल पड़ा। धीरे धीरे अब उसका नाम मशहूर होने लगा फिल्मों से भी उसके लिए गानों के ऑफर आने लगे। सुरीली ने अपना एक बड़ा आर्केस्ट्रा ग्रुप बना लिया। उसकी खुद की म्यूजिक कंपनी हो गई। सुरीली और उसकी मां मुंबई की पाश कॉलोनी में घर लेकर रहने लगे। सुरीली के गीतों को पर लग गए थे।
दोस्तों यह प्रतिभा किसी का मुहताज नहीं Motivational Story in hindi आपको कैसी लगी यम हमें अवश्य बताएं कमेंट के माध्यम से, और अपने दोस्तों को भी अवश्य शेयर करें।
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