कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence) का आविष्कार किसी एक व्यक्ति के नाम से नहीं है, बल्कि इसमें कई शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं के संयोग से विकसित हुआ है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें लंबे समय तक कई विज्ञानी ने अपनी योगदान दिया है।
कृत्रिम बुद्धि का विकास अपनी शुरुआत 1940 और 1950 के दशक में कुछ महत्वपूर्ण विज्ञानी ने की थी। यहां कुछ महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं का उल्लेख है:
आलन ट्यूरिंग: ट्यूरिंग को कंप्यूटर विज्ञान और कृत्रिम बुद्धि के महान पिता के रूप में मान्यता है। 1950 में, उन्होंने मशीनों की एक “सार्वभौमिक मशीन” की सिद्धांत की प्रस्तावना की थी, जो कृत्रिम बुद्धि की तर्ज पर बनी हो सकती है।
जॉन मैकार्थी: मैकार्थी, एक समूह शोधकर्ताओं के साथ, 1956 में डार्टमाउथ सम्मेलन आयोजित करने का कार्यक्रम बनाया था, जिसे कृत्रिम बुद्धि के जन्म की शुरुआत माना जाता है। मैकार्थी ने “कृत्रिम बुद्धि” शब्द का प्रयोग किया और उसकी प्रारंभिक लक्ष्यों और दृष्टिकोण को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मार्विन मिंस्की: मिंस्की कृत्रिम बुद्धि और योगदान क्षेत्र में एक प्रभावशाली व्यक्ति थे। उन्होंने मिट के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लेबोरेटरी की स्थापना की थी। उन्होंने रोबोटिक्स, पर्सेप्शन और मशीन लर्निंग जैसे कृत्रिम बुद्धि के विभिन्न पहलुओं पर काम किया।
हर्बर्ट साइमन और एलेन न्यूएल: साइमन और न्यूएल ने गणितीय सिद्धांतों की प्रमाणित करने के लिए एक कंप्यूटर प्रोग्राम विकसित करके कृत्रिम बुद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका काम समस्या हल करने और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर आधारित था और इसने भविष्य के अनुसंधान में मूल्यवान निर्देश दिए।
ये केवल कुछ उदाहरण हैं, जो कृत्रिम बुद्धि के शुरुआती योगदानकर्ताओं का उल्लेख करते हैं। इस विषय में अन्य अनुसंधानकर्ता और वैज्ञानिक ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कृत्रिम बुद्धि का विकास सहयोगपूर्ण और पैमानेकर कार्य प्रक्रिया है, जिसमें विज्ञानियों और अनुसंधानकर्ताओं ने अपनी संयुक्त प्रयासों द्वारा संभव किया है।
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